इश्क अगर एक धागा है तो
इक सीरा मैं हूँ
दूसरा तुम हो
इश्क अगर वादा है तो
इक टूकड़ा मैं हूँ
दूसरा तुम हो
कौन सा बंधन है तुम से
और कौन सा रिश्ता है
कभी गैर से लगते हो
कभी लगते अपने तुम हो
लगते अपने तुम हो
तुम हो..
तुम हो..
लगते अपने तुम हो
मैं वो दिन हूँ जिससे कोई ना
देखो मुनासीब शामें तेरी
मैं वो सफ़र हूँ
जिससे जुड़ी ना
आके कोई भी राहें तेरी
सोचता हूँ मैं हरदम अब तो
आये कोई तो ऐसा दिन
तेरी यादें मुझको सताएं
तुझको सताएं यादें मेरी
कौन सा बंधन है तुम से
और कौन सा रिश्ता है
कभी गैर से लगते हो
कभी लगते अपने तुम हो
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लगते अपने तुम हो
तुम हो..
तुम हो..
लगते अपने तुम हो
हो.. हे..
मैं वो ज़मीं हूँ
जिसपे ना बरसे
आके कोई भी बूंदें तेरी
मैं वो घर आँगन हूँ जहाँ पे
कभी ना गूंजी आवाज तेरी
अपने बीच में कुछ हो ऐसा
जिससे ये साबित तो हो
कभी कहलाये तु मेरा
कभी कहलाऊँ मैं भी तेरी
कौन सा बंधन है तुम से
और कौन सा रिश्ता है
कभी गैर से लगते हो
कभी लगते अपने तुम हो
लगते अपने तुम हो
तुम हो..
तुम हो..
लगते अपने तुम हो
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