एक बुंद मै दर्द है लाखो
केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
जिने का तू जरिया है
एक बुंद मै दर्द है लाखो
केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
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केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
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एक बुंद मै दर्द है लाखो
केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
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केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
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एक बुंद मै दर्द है लाखो
केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
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केहता है आंख का पाणी
मरहम से भि ना भरेगी
अपने जखमो की निशाणी……२
हा शर्ते रखी थी खुशियो ने
जिनका था दर्द मै बदलना
लफ्झो ने छोड रखा था
होठो पे ठेहरना आ….
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जीना का तू जरिया है
जरा रुक जा ए बेचैनिया
मुझको थोडा आराम दे
गम मिळ गये है सौगात मै
खुशियो का तू एहसान दे
खुद से है नाराजगी
तेरे गम का है एहसास भि
चल चल के ठक गये दीन मेरे
आके इनको तू शाम दे
बर्फ जमी थी आंखो मै
इनको था फिर कभी पिगलाना
जो लिखा हुआ है पेहेले से
नामुमकीन है बदलना
आ…..
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहात पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाणा है
जिने का तू जरिया है
मेरी आखो मै है नमी
जाने कैसी है ये कमी
ना हि सर पे मेरे आसमान
ना हि पैरो तळे जमीन
मै तुकडा बन के हुई
खुद से खुद हि खफा हुई
मुझे मै मै हु अब नही
जाने कैसी है ये कमी
हा तय हि नही था
खुशियो के लम्हो का कभी ठेहरना
कुछ ऐसा हो जिस से
आंखो का बंद हो जाये अब बरसना आ….
आ….
मेरी आंखे खुले जब भि
खुले तेरी हि आहत पे
जो दम बाकी है वो निकले
तेरी चाहत की चौकट पे
ये इश्क़ नही आसान
इक आग का दरिया है
तुझे मिलके हि जाना है
जिने का तू जरिया है
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